Poetry Reigns
Poetry wins!
Like a desert it's extended.
Oasis have shrivelled
out of the flame of a dream.
I am stumbling up the hill
over the blemishes of a volcanic rock.
Poetry wins!
Crossing so many et-tu-Brutus
moments in life, bruising
my ego, I team up with a
self-imposed loneliness.
Then the feathers of poetry soothe.
Poetry wins!
I don't hail from
an illustrious pedigree of poets.
My father asked me once
what do I get from poetry?
I told, I am 'the unacknowledged
legislator of the world!'
Poetry wins!
Poets—pale, careworn,
emaciated, combing through
thinning sparse hair
chase words
prodding and pestering
with clever rhymes and rhythm!
The poet sovereign!
Poetry wins!
In the deluge of words
in the opaque of their nuances
twisting, tearing, splitting, battering the soul
in a global greenhouse
poetry bites the bone.
Poetry reigns!10.कविता का साम्राज्य
कविता होती है विजयी !
जब विस्तृत हो चारों ओर रेगिस्तान
स्वप्न-दग्ध हो सारे मरु-उद्यान
ज्वालामुखी-चट्टानों के पर्वत-वन-
गहन में करती हूँ मैं, क्रंदन ।
कविता होती है विजयी !
जब जिंदगी के एट-टू-ब्रूटस पलों का हो रहा हो अतिक्रमण
मेरे अहंकार का घर्षण
मैं खो जाती हूँ स्व-निर्मित अकेलेपन के गगन
तब कविता के पंख करते हैं शयन।
कविता होती है विजयी !
मेरे कोई नहीं पूर्वतन
कवियों के प्रसिद्ध खान-दान
याद आता है मुझे मेरे पिता का कथन
“ कविता से क्या मिलता है तूझे ?”
और मेरा कथोपकथन
“कविता बनाती है मुझे विश्व-विधायक अनजान !”
कविता होती है विजयी !
जब कवि– पीत, जीर्ण-शीर्ण, उदासीन
पतले विरल केशानुशासन
करते हैं शब्दों का अनुसरण
करते हैं उन्हें बैचेन और परेशान
चतुर लय और ताल के अनुसंधान !
कवि का संप्रभुत्व शासन !
कविता होती है विजयी !
शब्दों के प्लावन
उनकी अपारदर्शी सूक्ष्मताओं का निष्कर्षण
छिन्न-भिन्न, विदीर्ण, आत्म-घूर्णन
अखिल वैश्विक हरित-भवन
कविता करती है अस्थि-अवशोषण ।
यह है कविता का साम्राज्य !
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