The Puppet
Gradually
I stop noticing
the passage of time.
Home, son, lover, friends,
day, night, blue, green, magenta,
all slide away
like slithering rings and
unclasped hooks of time.
There is no rhyme or rhythm
to it. Love. Just a chorus
in the play of life.
The monologue is far behind.
The air has no warmth
nor the sky blue.
Words echo, lose their sense.
Faith, buried under layers
and layers of dust.
I am lost in the crowd
in a colony of ants.
I am the puppet of straw
in the fields. Under the shadow of time
slanting
this afternoon.
This is a game mysterious. ,
Complex.
Someone might tell you
'Don't give up', 'Don't give up
yet try to defeat you
day in and out.
Someone may respect your
masculinity
but crush it
under his feet.
Perhaps my victory makes
you the loser, and on
my graveyard, you are the winner.
Still if
ever you come across
'time' on your way
or stumble on it in a reverie
go near
and scrub it with the nails
of faith.
Who knows'? You may get
a chance to renew and
rebuild things, years old.
धीरे-धीरे
मैंने ध्यान देना बंद कर दिया
समय-चक्र के बारे में ।
घर, बेटा, प्रेमी, दोस्त,
दिन, रात, नीला, हरा, मैजेंटा,
सभी दूर चले गए
लुढ़कते पहिये की तरह और
समय थम नहीं पाया ।
न कोई तुक या न कोई ताल
केवल प्रेम है एक राग
जीवन के इस खेल का।
एकालाप तो बहुत पीछे है।
हवा में न कोई गर्मी
न नीला आकाश
शब्द गूँजते हैं, अपने भावार्थ खोकर
विश्वास दबा पड़ा है
धूल की परतों के नीचे ।
मैं भीड़ में खो गई हूं
चींटियों की एक बस्ती में।
मैं खेतों में पुआल की कठपुतली हूं।
समय की छाया में
तिरछी बिछी हुई हूँ
इस भरी दुपहरी में ।
यह खेल रहस्यमय है जितना ,
जटिल भी उतना ।
कोई आपको कहेगा
'हार मत मानो', 'हार मत मानो'
फिर वह तुम्हें हराने का प्रयास करेगा
सुबह और शाम ।
कोई सम्मान कर सकता है
आपकी बहादुरी का
लेकिन इसे कुचल देगा
अपने पैरों के तले ।
शायद मेरी जीत
तुम्हें हरा दें , पर
मेरे कब्रिस्तान पर तुम विजेता बनोगे।
फिर भी
कहीं अगर तुम्हारी
'समय' से मुलाक़ात हो जाए
या श्रद्धा से उस पर ठोकर लगे
जाओ उसके नजदीक
और उसे आस्था के नाखूनों से साफ़ करें।
कौन जाने'? आपको मिल सकता है
एक और मौका, नवीनीकृत और
पुनर्निर्माण का, वर्षों पुरानी चीजों का ।
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